“ परिवार के सामने सारा ज्ञान विलुप्त हो जाता है, ऐसे में क्या करें ? ” || आचार्य प्रशांत भाषण || आचार्य प्रशांत

 

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तुम्हारे हित में नहीं है देहभाव
देहाभिमानी होने की सज़ा तुम्हें पल-पल मिलती है, और सज़ा यही भर नहीं है कि चार-पाँच लोग जिनको तुम परिवार कहते हो, तुम उनसे आसक्त रहोगे, तुम अपने कपड़ों से भी आसक्त रहोगे, घर से आसक्त रहोगे, गाड़ी से आसक्त रहोगे, जूते-चप्पल से आसक्त रहोगे, क्योंकि वो सब किसके हैं? देह के हैं। उम्र को लेकर डरे-डरे रहोगे, मृत्यु का भय सताता रहेगा।

आत्मा की तो मृत्यु होती नहीं, और देह प्रतिपल मृत्यु की ओर ही अग्रसर। देह मान लिया तुमने अपने-आपको तो अब मौत से घबराते भागते रहो।

तो जिसको ये बीमारी लगी हो कि उसे परिवार का मोह इतना ज़्यादा है कि अध्यात्म कुछ समझ में नहीं आता, या कि अध्यात्म कोरा ज्ञान बनकर रह जाता है जब परिवार की आसक्ति खड़ी होती है, तो मैं उससे कह रहा हूँ कि तुझे एक ही बीमारी नहीं सताएगी, तेरी बीमारियाँ अनंत हैं, प्रतिपल हैं, हर तल पर हैं।

तुमने तो सिर्फ़ एक बीमारी का उद्घाटन किया, एक राज़ खोला, और एक राज़ क्या है? कि सारा ज्ञान परिवार के सामने विलुप्त हो जाता है। मैं तुमसे कह रहा हूँ कि न, अगर तुमको ये परिवार वाली बीमारी लगी हुई है तो तुम्हें समस्या एक नहीं होगी, तुम्हें समस्या पचास होंगी, तुम्हारा प्रतिपल समस्या में ही बीत रहा होगा।

शायद तुम अपनी सारी समस्याओं का साझा सूत्र नहीं देख पाए, शायद तुमको यह लगता है कि तुम्हारी सारी समस्याएँ अलग-अलग हैं। नहीं, देह से जुड़ाव कितनी समस्याओं को जन्म देता है, तुम्हें अभी कल्पना भी नहीं है शायद। और वो समस्याएँ अलग नहीं होतीं, वो सब एक होती हैं।

देह की अपनी एक कहानी है, देह का अपना एक बहाव है, देह के अपने उद्देश्य हैं। और देह के उद्देश्य तुम्हारे उद्देश्यों से मेल नहीं खाते, इस बात को समझो। तुम चाहते हो मुक्ति, और देह चाहती है बंधन; क्यों देह बनकर जीना चाहते हो तुम? तुम चाहते हो प्रेम, और देह चाहती है सेक्स; क्यों देह बन कर जीना चाहते हो तुम? तुम चाहते हो ज्ञान, और देह चाहती है अंधकार; क्यों देह बने रहना चाहते हो? बोलो।

तुम्हारे हित में नहीं है देहभाव, इसीलिए हर साधक को, हर तपस्वी को पहली और आख़िरी लड़ाई अपने ख़िलाफ़ लड़नी पड़ती है; और अपने से क्या आशय है? देह के ख़िलाफ़।

~ आचार्य प्रशांत की नई पुस्तक महाभारत का एक अंश।महाकाव्य के महत्वपूर्ण प्रकरणों पर आधारित।
 
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